सुबह की पहली किरण जैसे ही शांत नदी के पानी को छूती है, आसमान सुनहरे रंग में नहाने लगता है।
घाटों पर महिलाएँ साड़ी में सजी, हाथ जोड़कर पानी में खड़ी होती हैं।
उनके चेहरे पर शांति, आँखों में विश्वास और होठों पर भजन की मृदु ध्वनि।
यही है Chhath Puja — एक ऐसा पर्व जहाँ भक्ति और प्रकृति का संगम होता है।
🌻 Chhath Puja क्या है?
Chhath Puja भगवान सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक अत्यंत प्राचीन हिन्दू पर्व है।
यह पर्व शुद्धता, संयम और कृतज्ञता का प्रतीक है — यहाँ दिखावे की जगह समर्पण और सादगी होती है।
“Chhath” का अर्थ है छठा दिन, यानी दीवाली के छठे दिन मनाया जाने वाला यह पर्व, जीवन को ऊर्जा देने वाले सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है।
🌄 Chhath Puja की पौराणिक कथा
Chhath Puja की जड़ें वैदिक काल तक जाती हैं।
कहा जाता है कि:
✨ द्रौपदी और पांडवों ने अपने कष्टों के समय सूर्य देव की उपासना की थी और इसी व्रत के माध्यम से उन्हें अपनी खोई हुई शक्ति और राज्य वापस मिला।
✨ एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान राम और सीता माता ने अयोध्या लौटने के बाद दीपावली के छठे दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया — और यही दिन आगे चलकर Chhath Puja के रूप में मनाया जाने लगा।
इसलिए कहा जाता है — सूर्य की पूजा, जीवन की पूजा है।
🪔 Chhath Puja के चार पवित्र दिन
यह पर्व केवल एक दिन का नहीं, बल्कि चार दिन की आस्था यात्रा है —
शरीर की शुद्धि से लेकर आत्मा की जागृति तक।
🥣 पहला दिन – नहाय खाय (शुद्धता की शुरुआत)
पहले दिन व्रती स्नान कर नदी से जल लाती हैं और उसी जल से घर में शुद्ध भोजन बनाती हैं।
भोजन में कोई मांसाहार या प्याज-लहसुन नहीं होता। यही दिन संयम की शुरुआत है।
🌙 दूसरा दिन – खरना (उपवास और कृतज्ञता)

व्रती पूरे दिन निर्जल उपवास रखती हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल से व्रत खोलती हैं।
इसके बाद शुरू होता है 36 घंटे का निर्जल व्रत — एक अद्भुत मानसिक और शारीरिक साधना।
🌇 तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को नमन)
सूर्यास्त के समय, जब आसमान सुनहरी आभा में नहाता है, तब महिलाएँ और पुरुष घाटों पर एकत्र होते हैं।
वे सूप में फल, गन्ना, नारियल, और ठेकुआ रखकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
दीयों की लौ और भजन की ध्वनि से वातावरण दिव्यता से भर उठता है।
🌅 चौथा दिन – उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य)
सुबह सूर्योदय से पहले ही घाटों पर श्रद्धालु लौट आते हैं।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का यह क्षण पूरे व्रत का सबसे पवित्र पल माना जाता है।
इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत पूर्ण करती हैं — और पूरे वातावरण में शांति, संतोष और भक्ति की लहर दौड़ जाती है।
🌞 Chhath Puja का आध्यात्मिक अर्थ
Chhath Puja केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच संतुलन का प्रतीक है।
- सूर्य ऊर्जा और जीवन का स्रोत है।
- व्रत आत्म-नियंत्रण और शुद्धता का प्रतीक है।
- अर्घ्य कृतज्ञता और विनम्रता का प्रतीक है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पर्व लाभकारी है —
सूर्य की किरणों के संपर्क से शरीर में ऊर्जा और मानसिक शांति दोनों प्राप्त होती हैं।
यही कारण है कि Chhath Puja को “आस्था और विज्ञान का संगम” कहा जाता है।
📸 चित्रों में Chhath Puja का सौंदर्य
- लाल और पीले रंग की साड़ियों में सजी महिलाएँ नदी के पानी में खड़ी।
- टोकरी में फल, नारियल और दीयों से सजा अर्घ्य।
- बच्चों की हँसी, लोकगीतों की मधुर ध्वनि, और प्रसाद में बनी ठेकुआ की सुगंध।
- जल पर तैरते दीये जैसे छोटे-छोटे सूरज, जो रात को भी भक्ति से उज्ज्वल बना देते हैं।
हर दृश्य यह कहता है — भक्ति के लिए मंदिर नहीं, बस सच्चा मन चाहिए।
🌼 आज के समय में Chhath Puja का महत्व
तेज़ रफ़्तार और तकनीक के युग में Chhath Puja हमें सिखाती है कि
रुकना भी जरूरी है,
प्रकृति को धन्यवाद देना भी जरूरी है।
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्ची पूजा धन से नहीं, भावना से होती है।
माँ अपने बच्चों के लिए, बहन अपने भाइयों के लिए, और महिलाएँ अपने परिवार की भलाई के लिए जो व्रत रखती हैं, उसमें न कोई स्वार्थ है, न कोई दिखावा — बस प्रेम और विश्वास।
💫 Chhath Puja का सुनहरा संदेश
जब उगते सूरज की पहली किरण folded hands पर पड़ती है,
तो जैसे सारी धरती पर भक्ति की रौशनी फैल जाती है।
यही है Chhath Puja का संदेश —
कृतज्ञता ही सच्ची पूजा है, और भक्ति ही जीवन की सबसे बड़ी रोशनी। 🌞